Bitter Gourd in Hindi
करैला एक प्रसिद्ध तरकारी है जो भारतवर्ष में लगभग सर्वत्र पायी जाती है । यह मलाया, चीन और अफीका में भी होती है । करैला को संस्कृत में कारवेल्लक, काठिल्ल, सुषुवी, कारवेल्ली, तथा क्षुद्रक्ारवेल्लक; हिन्दी में करैला, करली, तथा छोटा करैला; बंगला में करला, उच्छे, कोरोला, छोटा करला तथा छोटा उच्छे; मराठी में कारलें, कार्ली क्षुद्र कारली तथा लघु कारली; गुजराती में कारेलां, करेटी, कड़वा बेला; अँग्रेजी में बिटर गोर्ड ( Bitter gourd ) और हेअरी मोडिका ( Hairy Mordica ) ; तथा लैटिन में मोमोडिका चेरन्टिया (Momordica charantia) व मोमोडिका मुरिकेटा (Momordica Muricata) कहते हैं।
करैले की लता होती है । इसका फूल पीले रंग का होता है । फल बीच में मोटा और दोनों ओर क्रमशः नुकीला होता है । छिल्का ऊबड़खाबड़ या उभरा हुआ होता है । फल का रंग सामान्यतः हरा होता है जो पकने पर पीलेपन में बदल जाता है, साथ ही उस वक्त करले के बीज व गूदा लाल हो जाते हैं । करले की उपज बैसाख से आषाढ़ तक खूब होती है। वर्षा होते ही इसकी लता गल-सड़ जाती है । पर वही लता पुनः जाड़े में बढ़कर फलने-फूलने लगती है । जो करेला जाड़ों में उत्पन्न होता है बढ़िया और स्वादिष्ट होता है।
करैले की किस्में
करैला तीन किस्म का होता है :- (१) करैला-यह करैला ३ इंच से लेकर डेढ़ फुट तक लम्बा होता है । इसकी लता लम्बी होती है । यह हरा व सफेद दो रंगों में मिलता है । हरे रंग का करैला अधिक मिलता है और सफेद रंग का कहीं कहीं। सफेद रंग का करैला ही बहुधा बहुत लम्बा होता है। मालवा और मारवाड़ की ओर सफेद करैला विशेष रूप से मिलता है । इस किस्म के करैले का छिल्का पतला होता है और यह खाने में उत्तम होता है ।
(२) करैली -यह एक इंच से ३ इंच लम्बी होती है, यानी करैला से छोटी । यह प्रायः अण्डाकार होती है और इसकी लता कम लम्बी होती है । रंग करैला के समान ही होता है और गुण आदि भी ।
(३) जंगली करैला-इस किस्म के करैले के फल बहुत छोटे तथा बहुत ही कड़वे होते हैं। जंगली करैले की एक और किस्म होती है जिसकी लता बहुत लम्बी होती है और फल में बीज ही बीज होता है, गूदा नाम मात्र को होता है । यह प्रायः करैली के फल से छोटा होता है ।
रासायनिक विश्लेषण
करैला में पानी ९२.४ प्रतिशत, छोटे में कुछ अधिक; खनिज पदार्थ ०.८ प्रतिशत, छोटे में १.४ प्रतिशत; प्रोटीन १.६ प्रतिशत, छोटे में २.९ प्रति- शत; वसा ०.२ प्रतिशत, छोटे में १.०० प्रतिशत; कार्बोहाइड्रेट ४.२ प्रतिशत, छोटे में ९.०० प्रतिशत; केल्सियम ०.०३, छोटे में ०.०५% फॉस्फोरस ०.०७, छोटे में ०.१४, लोहा प्रतिशत २२ मिलीग्राम, छोटे में ९.४ मिलीग्राम, विटामिन ए प्रति सौ ग्राम इन्टरनेशनल यूनिट २१०; छोटे में भी २१०;3 विटा- मिन बी प्रति सौ ग्राम इ० यू० २४, इतना ही छोटे में भी; विटामिन सी दोनों में ८८ मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम पाया जाता है।
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स्वास्थ्यवर्द्धक गुण
आयुर्वेदानुसार करैला लघु, रूक्ष, तिक्त, विपाक में कटु तथा उष्णवीर्य है। यह रोचन, दीपन, पाचन, पित्तसारक, कृमिघ्न, मूत्रल, उत्तेजक, ज्वरघ्न, मृदुसारक, त्रिदोषनाशक, रक्तशोधक, शोथहर, व्रणशोधक, रोपण, दाह-प्रशमन, चक्षुष्य, वेदना- स्थापन, आर्तवजनन, स्तन्य-शोधन, तथा मेद, गुल्म, प्लीहा, शूल, पाण्डु, प्रमेह और कुष्ठ नाशक है। यकृत और रक्त के लिये लोहा तथा अस्थि, दाँत, मस्तिष्क एवं अन्यान्य शारीरिक अवयवों के लिए फॉस्फोरस की जितनी आवश्यकता होती है उनकी पूरी तौर से पूर्ति एक करैले द्वारा हो जाती है। करैला की अपेक्षा करैली पचने में विशेष हल्की, जठराग्नि को तेज करने वाली, तथा दस्तावर होती है।
Karela khane ke fayde
1.हाथ-पैरों की सूजन-करैले को पानी में महीन पीस कर सूजन पर लेप करने से सूजन मिट जाती है।
2.गठिया-फल को पीस कर गठिया की सूजन पर लेप करने से लाभ होता है। साथ ही करैले का भर्ता रोज सेवन करें।
3.आग से जलना-आग से जल जाने पर जले स्थान पर करैले का रस निकाल कर उसका लेप लगावें, दाह शान्त हो जावेगी।
4.पीलिया)-ताजे करेले को पानी के साथ पीस कर छान लें और रोगी को पिलावें। दो-चार दस्त होकर लाभ होता है।
5.मुंह का छाला)-करैले का रस १ छोटे चम्मच में लेकर उसमें थोड़ी चाक मिट्टी व थोड़ी देशी चीनी मिला दें और रोगी को थोड़ी थोड़ी मात्रा में चटाते रहें।
6.मधुमेह-इस रोग में ताजे करैलों का १-२ तोला रस रोज पीते रहने से लाभ होता है । या करैलों को टुकड़े-टुकड़े करके छाया में सुखा लें, तत्पश्चात् उसका महीन चूर्ण बना लें और ३ से ६ माशे की मात्रा से मधुमेही को रोज जल के साथ सेवन करावें। इससे पेशाब से चीनी आनी धीरे धीरे बंद हो जाती है । इस रोग में करैली या करैले की तरकारी विशेष रूप से खानी चाहिए।
7.रक्त-विकार-मधुमेह के लिए जो करेले की चिकित्सा ऊपर लिखी गयी है वही इस रोग में भी उपकारी है ।
8.प्लीहा वृद्धि-करैंले के रस में छोटी राई और नमक का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से प्लीहा-वृद्धि में लाभ होता है ।
9.गले की सूजन-सूखे करेले को सिरका में पीस कर और गरम करके लेप करने से गले की सूजन मिटती है।
Karela recipe in Hindi
करेले से बनाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थ
करेला की तरकारी)-करैला की तरकारी बनाते वक्त उसे छीलना नहीं चाहिए, बल्कि पूरे करैले को उसके छिल्के समेत काटकर तरकारी बनानी चाहिए । कटी हुई तरकारी को नमक के पानी से मलमल कर धोना और उस पानी को फेंक देना भी ठीक नहीं। कारण, ऐसा करने से करेले का बहुत सा उपयोगी रस व्यर्थ नष्ट हो जाता है । करेले की तरकारी को घी और जीरा से छौंकना चाहिए और धीमी आँच पर भून लेना चाहिए, पर तरकारी को जलने न देना चाहिए। तरकारी के पक जाने पर उसमें अन्दाज से नमक छोड़ लेना चाहिए और खाना चाहिए। करेले की तरकारी में मसाला आदि छोड़ना, उसके गुणों को नष्ट करना है।
करेले का भर्ता)-करैले को कण्डे की आँच में भून कर या थोड़े पानी में उबाल कर, उसके सीझ जाने पर उसे मसल कर भर्ता का रूप देना चाहिए। तत्पश्चात् उसमें सेंधा नमक व काली मिर्च मिलाकर खाना चाहिए। कुछ लोग करैले के भर्ता में, चूंकि वह खुद कड़ आ होता है, मिर्च मिलाना पसंद नहीं करते। कुछ लोग इसमें सरसों का तेल व लहसुन के टुकड़े डाल कर खाते हैं।
करेला खाने में जितना कड़वा लगता है उसके लाभ भी कहीं अधिक है , ज्यादातर लोग करेले को उसकी कड़वाहट की वजह से कम खाते हैं पर आज के दौर में इसके लाभ के कारण इसे हर कोई खाता है, क्योंकि यह मधुमेह जैसे रोगों को जड़ से खत्म कर देता है आज के दौर में लोग सुबह करेले का जूस पीना पसंद करते हैं ।
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