Turmeric in Hindi|हल्दी के फ़ायदे
Turmeric in hindi- हल्दी को संस्कृत में हरिद्रा, पीता, रजनी,निशा;Turmeric in hindi- हिन्दी में हलदी, हल्दी, हरदी; द्राविड़ में हलद; बंगला में हलूद; मलयालम में मंजल 3 गुजराती में हल- दर; मराठी में हलद; तेलुगु में पसुपु, पम्पी; अरबी में औरु केस फुर कु्कुम, फार्सी में दारजदी, चौबाह; Haldi in English-अंग्रेजी में टर्मेरिक (Turmeric); तथा लैटिन में कुर्कुमा लोंगा (Curcuma Longa ) कहते हैं ।
रासायनिक विश्लेषण
हल्दी में उत्पत् तेल १ प्रतिशत, हारिद्रिक नामक पीतरंजक द्रव्य और हरिद्रातेल आदि तत्तव होते हैं । तेल गाढ़ा, पीला और चिपचिपा होता है जिससे हल्दी में गंध और स्वाद आता है ।
विवरण
हल्दी, बंगाल, बिहार, मद्रास तथा देहरादून आदि में विशेषरूप से बोई जाती है । भारतवर्ष के सभी प्रान्तों में हल्दी एक प्रसिद्ध मसाला है। साग, दाल, अचार, कढ़ी आदि में डालने के अतिरिक्त यह औषधि के रूप में भी काम आती है। हल्दी एक बड़ी शुभ वस्तु मानी जाती है । हल्दी से रँगा हुआ पीत वस्त्र शुभ कार्यों में व्यवहृत होता है।
इसका पौधा अदरक जैसा होता है इसमें १ से डेढ़ फुट लम्बी और चौड़ी पत्तियाँ लगती हैं जिनमें आम की गंध के समान गंध आती है। ४-६ इंच लम्बे डंठल में हल्दी के रंग के १ इंच लम्बे फूल लगते हैं। फूल वर्षाकाल में लगते हैं। गाँठदार, गोल व लम्बा फल लगता है जिसका भीतरी भाग पीला होता है।
आयुर्वेदानुसार हल्दी तिक्त, कटुरस, रूक्ष, लघु- गुण, उष्णवीर्य और कटुविपाक होती है। यह त्रिदोषनाशक, रुचिकारक, अनुलोमक, पित्तरेचक और कृमिनाशक है। यह रक्त को शुद्ध करती है, मूत्र के वर्ण को ठीक करके उसकी अधिकता को कम करती है। यह कुष्ठनाशक तथा अन्य कितनी ही बीमारियों को दूर करने वाली है।
दक्षिण भारत में स्त्रियाँ ताजी या सूखी हल्दी के चूर्ण को शरीर पर मलकर फिर स्नान करती हैं। ऐसा करने से उनके शरीर में बाल नहीं उग पाते और देह की कान्ति निखर उठती है। इसी प्रकार हिन्दू संस्कृति के अन्तर्गत हल्दी एक सौभाग्यसूचक द्रव्य है जो एक ओर रसोईघर का शृङ्गार है तो दूसरी ओर परिवार के गले का हार है । हल्दी का तिलक लगाया जाता है । हल्दी के बिना देवपूजन पूरा नहीं होता । विवाह आदि में हल्दी एक विशिष्ट वस्तु समझी जाती है । वर-वधू के हाथ की कलाइयों में हल्दी की गाँठ यदि न बाँधी जाय तो विवाह-यज्ञ सम्पन्न ही न हो । हल्दी से चावलों को पीला करके पूजा के काम में लाया जाता है, आदि ।
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Haldi ke fayde (हल्दी के फ़ायदे)
1.कीड़े वाले घाव)-जिस घाव में कीड़े पड़ जाते हैं उस पर महीन पिसी हुई हल्दी छिड़कने से घाव के कीड़े मर जाते हैं और घाव जल्दी भर भी जाता है ।
2.दाँत का दर्द)-हल्दी व हींग, दोनों को एकसाथ पीसकर और उसकी गोली बनाकर दाँत के नीचे दबाने से दाँत का दर्द ठीक हो जाता है ।
3.फीलपाँव)-हल्दी को पीसकर और गुड़ मिला- कर गोलियाँ बना लें। रोज एक गोली गोमूत्र के साथ सेवन करें तो फीलपाँव रोग ठीक हो। इस योग से दाद और कुष्ठ भी ठीक हो जाते हैं।
4.पीनस)-इस रोग में घी, सेंधा नमक और काली मिर्च डालकर बनाई हुई कच्ची हल्दी की तरकारी गेहूँ के सूखे फुल्के के साथ खानी चाहिए। साथ ही कच्ची हल्दी के १ तोला रस में उतना ही गोघृत डालकर पकावें । जब रस जल जाय तो घृत को कपड़े से छान लें। इस तेल में रुई के फाये को तर करके नाक के छिद्र में दूर तक डालें और घृत ऊपर खींचें, तत्पश्चात् फाये को फेंक दें। इस प्रकार १५ दिन करने से पीनस-रोग ठीक हो जायगा । अर्थात्, नाक से पानी बहना बंद हो जायगा, बैठा गला खुल जायगा,रोगी का बार बार थूकना रुक जायगा, और भोजन रुचिकारक लगने लगेगा।
5.सर्व चर्मरोग)-हल्दी का चूर्ण १ चम्मच, तथा एक मुट्ठी बाँस की पत्तियों का चूर्ण एकसाथ जल के योग से महीन पीसकर लेप लगावें, सभी चर्मरोगों में लाभकारी है।
6.फोड़ा)-हल्दी एक चम्मच तथा उबले चावल १ या दो मुट्ठी की पुल्टिस । अथवा हल्दी, नमक, तेल, तथा आटे की पुल्टिस फोड़ा पर बाँधने से वह जल्दी पककर फूट जाता है।
7.नेत्ररोगों में)- हल्दी का चूर्ण १ तोला व पानी तीन पाव-दोनों को अच्छी तरह घोल लें और नेत्र रोगों में प्रयोग करें। अथवा हल्दी, मुलहठी, हरड़, 'देवदारु इनको एकसाथ घोलकर अंजन करें तो नेत्र के लगभग सारे रोग ठीक हो जायँ ।
8.उदर-रोग)-हल्दी ४ रत्ती, सोंठ ४ रत्ती, काली- मिर्च २ रत्ती, इलायची २ रत्ती, चारों को मिलाकर चूर्ण करें। यह एक मात्रा हुई। इस चूर्ण का सेवन करने से पेट में वायु बनना, अपच, कब्ज, तथा उदर- शूल सब मिटता है।
9.सब प्रकार के प्रमेह रोग)- हल्दी के चूर्ण को आँवले के रस और शहद में मिलाकर सेवन करने से थोड़े दिनों में सब प्रकार के प्रमेह रोगों से निजात मिल जाती है ।
10.जुकाम)-यदि नया जुकाम हो तो दूध में हल्दी का चूर्ण मिलाकर उसे गरम करें । फिर नीचे उतार कर गुनगुना रहने पर उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर सुबह, शाम व रात्रि को पीवें, इसके अतिरिक्त यदि पतला जल जैसा स्त्राव होता हो तो नाक पर हल्दी का धुवाँ लगने दें, कफोत्पत्ति बंद हो जायगी ।
11.बहुमूत्र )-हल्दी का चूर्ण और तिल १-१ माशा, तथा गुड़ २ माशा एकसाथ मिलाकर रोज सुबह-शाम बासी मुँह जल के साथ सेवन करने से बहुमूत्र रोग कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है ।
12.चेचक के घाव)-हल्दी और कत्थे को एकसाथ पीसकर चेचक के फूटे हुये घावों पर छिड़कने से वे भर जाते हैं।
13.चोट की सूजन)-लाठी, पत्थर आदि के लगने से शरीर पर जो सूजन आ जाती है, उसको मिटाने के लिये हल्दी व पान में खाने वाले चूने को एकसाथ पीसकर और गरम करके लेप करें।
14.कान बहना)-हल्दी और फिटकरी का फूला एक- साथ मिलाकर कान में डालने से कान से पीब निकलना दूर हो जाता है।
15.शरीर का रंग गोरा हो)-हल्दी के महीन चूर्ण को जौ के आटे में मिलाकर उबटन करने से शरीर का रंग गोरा होता है और त्वचा की मैलजनित खुजली मिट जाती है ।
16.श्वेत प्रदर)-कफयुक्त प्रदर होने पर गूगुल के साथ हल्दी का चूर्ण सेवन करना चाहिए और पतला स्राव होने पर रसौत के साथ । मात्रा- २ से ३ माशा प्रातः व सायं ।
17.जोंक लगने पर रक्त बहता हो)-हल्दी का महीन- चूर्ण, जहाँ से रक्त निकलता हो वहाँ लगा दें, रक्त निकलना फौरन बंद हो जावेगा ।
18.स्तनशोथ (Mastitis))-प्रसूता एवं सन्तान वाली माताओं को अक्सर स्तन के सूज जाने की बीमारी हो जाती है । इस रोग में हल्दी और घीकुआर के गूदे को खरल कर गुनगुना करें और दिन में ४-६ बार गाढ़ागाढ़ा लेप स्तन की सूजन पर लगावें । सूजन मिट जायगी और यदि थनेला को पकना होगा तो वह फूट कर शीघ्र भर भी जायगी ।
19.खाँसी)-हल्दी, दारुहल्दी, और मैनसिल, इन तीनों को जल में पीसकर छोटी छोटी बत्तियाँ बना लें और सुखा लें । एक बत्ती जलाकर बीड़ी के समान धूम्रपान करें तो खाँसी में रुका कफ बाहर निकल जाता है और छाती हल्की हो जाती है ।
20.पुरानी धातु सम्बन्धी बीमारी या प्रमेह)-रोज प्रातःकाल कच्ची हल्दी का रस व शुद्ध शहद १-१ तोला लेकर और एकसाथ मिलाकर चाटें, और रात को सोते समय तीन माशा सूखी हल्दी का चूर्ण और ६ माशा शुद्ध शहद उबालकर ठंढा किये हुए १ पाव बकरी के दूध में मिलावें और पी जायँ । ४० दिन ऐसा करें तो पुराने धातुजनित दोष-दुबलापन, कमर का दर्द, बेचैनी, मन्दाग्नि, तथा चिड़चिड़ापन आदि सब दूर हो।
तो यह थी हल्दी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी। इस कांटेक्ट में मैंने आपको बेनिफिट्स ऑफ हल्दी, उससे होने वाले लाभ, हल्दी का भिन्न-भिन्न बीमारियों में होने वाले लाभ तथा उनके बीमारियों में होने वाले प्रयोग के बारे में बताया है अगर दोस्तों आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। हेल्थ रिलेटेड ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए हमारे ब्लॉग पर विजिट करें।
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